विषय सूची :-
1. व्यवसाय – अर्थ, विकास की अवस्थाएँ, अवधारणा, विशेषताएँ एवं महत्व 2. व्यावसायिक गतिविधियों का वर्गीकरण – उद्योग, वाणिज्य, व्यवसाय एवं पेशा 3. व्यावसायिक संगठन – अर्थ, परिभाषाएँ, लक्षण, उद्देश्य, महत्व एवं उद्गम 4. नवीन व्यवसाय का प्रवर्तन 5. व्यावसायिक संगठनों के प्रारूप – अर्थ, प्रारूप एवं विशिष्ट प्रारूप का चयन 6. एकाकी व्यापारी अथवा एकाकी स्वामित्व 7. साझेदारी 8. कम्पनी का संगठन (अर्थ, विशेषताएँ, निजी तथा सार्वजनिक कम्पनी में अन्तर तथा मूल्यांकन – लाभ – दोष) 9. सहकारी संगठन (अर्थ, लक्षण, प्रारूप, महत्व एवं लाभ – दोष) 10. व्यावसायिक इकाइयों का स्थानीयकरण 11. संयन्त्र अभिन्यास अथवा संयन्त्र विन्यास 12. व्यावसायिक इकाई का आकार 13. व्यावसायिक संयोजन 14. विवेकीकरण (अर्थ, विशेषताएँ, उद्देश्य, प्रमुख पहलू, सिद्धान्त, गुण – दोष, सुझाव तथा भारत में विवेकीकरण) |
अतिरिक्त जानकारी :-
इस पुस्तक के लेखक श्री आर.सी.अग्रवाल एवं श्री संजय अग्रवाल हैं। श्री आर.सी.अग्रवाल श्री जैन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बीकानेर के स्नातकोत्तर व्यवसाय विभाग के पूर्व प्राचार्य एवं अध्यक्ष हैं। श्री संजय अग्रवाल चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं एवं उनकी शैक्षिक योग्यता में एम.कॉम. एवं एफ.सी.ए शामिल है।
ISBN | 978-93-90498-31-4 |
Size (Cm) | 24 x 18 x 2 |
Weight (Gram) | 400 |
Pages | 264 |
Reviews
There are no reviews yet.