विषय सूची:-
भाग ‘ अ ‘ : समष्टिगत अर्थशास्त्र
1. समष्टिगत अर्थशास्त्र 2. समष्टिगत आर्थिक साम्य 3. राष्ट्रीय आय लेखा विधि या लेखांकन 4. राष्ट्रीय आय एवं हरित राष्ट्रीय आय 5. राष्ट्रीय आय का मापन 6. राष्ट्रीय आय तथा आर्थिक कल्याण 7. आय का चक्रीय प्रवाह तथा राष्ट्रीय आय समिकाएँ 8. राष्ट्रीय आय (रोजगार) के निर्धारण का सिद्धान्त – प्रतिष्ठित सिद्धान्त 9. ‘ से ‘ का बाजार नियम 10. कीन्स का रोजगार सिद्धान्त – आय एवं रोजगार के निर्धारक 11. बचत एवं विनियोग में समानता एवं साम्य अथवा साम्य राष्ट्रीय आय का निर्धारण – द्वि – क्षेत्रीय एवं तीन – क्षेत्रीय अर्थ व्यवस्था में 12. IS और LM फलन – वस्तु और मुद्रा बाजारों का सामान्य सन्तुलन 13. उपभोग फलन व उपभोग का मनोवैज्ञानिक नियम 14. बचत फलन 15. गुणक का सिद्धान्त 16. मजदूरी तथा रोजगार – पीगू प्रभाव व धन प्रभाव 17. कीन्सोत्तर उपभोग फलन – अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन उपभोग फलनों का सामंजस्य 18. विनियोग क्रिया (फलन) एवं विनियोग के निर्धारक तत्व 19. पूँजी की सीमान्त उत्पादकता 20. त्वरक का सिद्धान्त 21. पूँजी स्टॉक समायोजन तथा विनियोग अथवा विनियोग का नव – प्रतिष्ठित सिद्धान्त 22. कीन्स का सिद्धान्त तथा अर्द्ध – विकसित देश 23. मकड़ी जाला प्रमेय या सिद्धान्त 24. व्यापार चक्र 25. हैरोड तथा डोमर के मॉडल 26. सोलो का दीर्घकालीन विकास मॉडल 27. वितरण के समष्टिगत आर्थिक सिद्धान्त 28. समष्टिगत आर्थिक नीतियाँ, मौद्रिक नीति एवं राजकोषीय नीति 29. मुद्रा – स्फीति या प्रसार – धारणा व सिद्धान्त 30. ब्याज की दर व सिद्धान्त 31. जनसंख्या सिद्धान्त 32. आर्थिक संवृद्धि या विकास को प्रभावित करने वाले घटक – आर्थिक व गैर – आर्थिक 33. कीन्स का मुद्रा मूल्य का आय सिद्धान्त अथवा बचत एवं विनियोग सिद्धान्त 34. पर्यावरणीय समस्याएँ |
भाग ‘ ब ‘ : राजस्व
1. राजस्व का अर्थ एवं क्षेत्र 2. सार्वजनिक वस्तुएँ बनाम निजी वस्तुएँ 3. अधिकतम सामाजिक लाभ का सिद्धान्त 4. बाजार असफलताएँ एवं सरकार की भूमिका 5. सार्वजनिक व्यय – अर्थ, वर्गीकरण एवं सिद्धान्त 6. भारत में सार्वजनिक व्यय 7. सार्वजनिक आय के स्रोत – करारोपण के सिद्धान्त एवं अच्छी कर प्रणाली की विशेषताएँ 8. करारोपण – प्रकृति, उद्देश्य व संरचना (वर्गीकरण) 9. करारोपण के लाभ एवं करदान योग्यता का सिद्धान्त 10. कर का कराघात व करापात 11. करदान क्षमता 12. अर्थव्यवस्था पर करारोपण प्रभाव 13. केन्द्रीय सरकार की आय (आगम) के स्रोत 14. राज्य सरकारों की आय (आगम) के स्रोत 15. सार्वजनिक ऋण – वर्गीकरण, स्रोत एवं प्रभाव 16. सार्वजनिक ऋणों का शोधन (भुगतान) 17. सार्वजनिक बजट के प्रकार 18. भारतवर्ष में बजट की तैयारी एवं पारितीकरण 19. राजकोषीय नीति के सिद्धान्त एवं आदर्शात्मक पहलू 20. सार्वजनिक घाटा – धारणा तथा वैकल्पिक माप 21. बजट योजना के सिद्धान्त या राजकोषीय नीति 22. राजकोषीय नीति एवं आर्थिक विकास 23. सार्वजनिक ऋण की व्यवस्था 24. भारतवर्ष में वित्तीय संघवाद एवं वित्त आयोग 25. भारतीय कर की विशेषताएँ, प्रणाली एवं सुधार 26. घाटे की वित्त – व्यवस्था अथवा हीनार्थ प्रबन्धन |
अतिरिक्त जानकारी :-
इस पुस्तक के लेखक डॉ. वी.सी. सिन्हा एवं डॉ. पुष्पा सिन्हा हैं। डॉ. वी. सी. सिन्हा पूर्व कुलपति एवं विभागाध्यक्ष, व्यावसायिक प्रशासन विभाग, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा से सेवानिवृत्त हैँ। डॉ.पुष्पा सिन्हा की शैक्षिक योग्यता में एम.ए., एल.टी. और पी.एच.डी. की डिग्री शामिल है।
ISBN | |
Size (Cm) | 24 x 18 x 3.0 |
Weight (Gram) | 750 |
Pages | 626 |
Reviews
There are no reviews yet.